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जलवायु परिवर्तन की चेतावनी

उत्तराखंड में मार्च 2025 में मई-जून जैसी भीषण गर्मी

🔥 असमय गर्मी ने तोड़ा रिकॉर्ड, उत्तराखंड में मार्च में ही पड़ने लगी जून जैसी तपिश

उत्तराखंड में मार्च 2025 में गर्मी ने सारे पुराने रिकॉर्ड तोड़ दिए। आमतौर पर मार्च में जहां पहाड़ों में हल्की ठंड का अनुभव होता है, वहीं इस बार राज्य के कई क्षेत्रों में तापमान 35 से 40 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया। देहरादून, हरिद्वार, ऊधम सिंह नगर और नैनीताल जिलों में गर्मी ने लोगों को परेशान कर दिया, और यहां तक कि पहाड़ी क्षेत्रों में भी लू जैसे हालात देखने को मिले।


📈 मौसम विभाग का पूर्वानुमान: यह सामान्य नहीं, गंभीर जलवायु परिवर्तन का संकेत

भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के अनुसार, उत्तराखंड में मार्च के महीने में इतनी गर्मी पहली बार दर्ज की गई है। देहरादून में सामान्य तापमान जहां 27-28°C होता है, वहीं इस वर्ष यह 38°C तक पहुंच गया। मौसम विभाग के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. आर. के. सिंह ने बताया:

“उत्तराखंड में इस प्रकार की गर्मी असामान्य है। यह ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन का स्पष्ट संकेत है। यदि समय रहते प्रभावी कदम नहीं उठाए गए तो भविष्य में स्थिति और गंभीर हो सकती है।”


📊 तापमान की स्थिति – प्रमुख शहरों में रिकॉर्ड

शहर सामान्य तापमान (मार्च) मार्च 2025 तापमान
देहरादून 27°C 38°C
हरिद्वार 29°C 40°C
ऊधम सिंह नगर 30°C 41°C
नैनीताल 20°C 32°C
अल्मोड़ा 21°C 33°C

🧓 आमजन पर असर: स्वास्थ्य, जल संकट और बिजली की किल्लत

भीषण गर्मी से स्कूलों में उपस्थिति कम, स्वास्थ्य केंद्रों में लू और डिहाइड्रेशन के मामले बढ़ गए हैं। पहाड़ी क्षेत्रों में नल सूखने लगे हैं और जल संकट गहराने लगा है। हरिद्वार और ऊधम सिंह नगर में बिजली की खपत रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई है, जिससे कई जगहों पर लोड शेडिंग करनी पड़ी।

देहरादून निवासी श्रीमती सुशीला काला ने बताया:

“हमने कभी मार्च में इतनी गर्मी नहीं देखी। पंखा और कूलर चलाने की नौबत आ गई है।”


🔬 विशेषज्ञों की राय: मानव गतिविधियों और वनों की कटाई का असर

पर्यावरणविद् डॉ. मीना जोशी का कहना है कि उत्तराखंड में तेजी से हो रहा शहरीकरण, वनों की कटाई, और बढ़ते निर्माण कार्य इसके पीछे प्रमुख कारण हैं। उन्होंने कहा:

“हमें तुरंत कदम उठाने होंगे जैसे जल-संरक्षण, वृक्षारोपण और ग्रीन एनर्जी को बढ़ावा देना, वरना उत्तराखंड भी मैदानी राज्यों की तरह गर्मी से झुलस जाएगा।”


📣 सरकार की प्रतिक्रिया: अलर्ट और राहत की व्यवस्था

राज्य सरकार ने गर्मी के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए:

  • अस्पतालों में गर्मी से संबंधित रोगों के लिए विशेष वार्ड बनाए हैं।

  • स्कूली समय में परिवर्तन किया गया है।

  • ग्रामीण क्षेत्रों में पेयजल टैंकरों की तैनाती की गई है।

  • वन विभाग ने जंगल की आग की आशंका को देखते हुए ‘फायर अलर्ट’ जारी किया है।

राज्य आपदा प्रबंधन विभाग के सचिव श्री डी. एन. भट्ट ने कहा:

“हम हालात पर नजर रखे हुए हैं और ज़रूरत के अनुसार राहत कार्य कर रहे हैं।”


🧾 निष्कर्ष: मार्च में भीषण गर्मी – चेतावनी नहीं, अलार्म है!

उत्तराखंड में मार्च 2025 की भीषण गर्मी सिर्फ एक असामान्य घटना नहीं है, बल्कि यह एक गंभीर जलवायु संकट का संकेत है। आम जनता, प्रशासन और वैज्ञानिक समुदाय सभी को मिलकर जलवायु संकट से निपटने की तैयारी करनी होगी।

हमें अपनी जीवनशैली में बदलाव लाने होंगे, जैसे कम बिजली उपयोग, जैविक खेती, ग्रीन इनफ्रास्ट्रक्चर और सबसे जरूरी – वन संरक्षण। तभी आने वाली पीढ़ियों के लिए हम एक सुरक्षित और ठंडी धरती छोड़ पाएंगे।


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