हेमकुंड साहिब जाने वाले मार्ग पर सेना ने शुरू किया हिमखंड हटाने का कार्य

चमोली जिले के हेमकुंड साहिब और लोकपाल लक्ष्मण मंदिर पैदल मार्ग पर सेना ने अटलाकोटी हिमखंड को काटने का काम शुरू कर दिया है। यहां सेना इंजीनियरिंग कोर की 418 स्वतंत्र बिग्रेड दो रास्ते बना रही है, जो वन-वे होंगे। हालांकि, मौसम और लगातार बर्फबारी इस कार्य में अवरोध उत्पन्न कर रहे हैं, फिर भी सेना के जवान पूरी मेहनत से रास्ता खोलने में जुटे हुए हैं।
हेमकुंड साहिब से अटलाकोटी तक बर्फ हटाने की चुनौती
वर्तमान में 27 जवान व अधिकारी 15,225 फीट की ऊंचाई पर स्थित हेमकुंड साहिब क्षेत्र में बर्फ हटाने का काम कर रहे हैं। हेमकुंड साहिब और लोकपाल लक्ष्मण मंदिर के कपाट 25 मई को खोले जाने हैं, लेकिन पैदल मार्ग के तीन किमी क्षेत्र में हेमकुंड से अटलाकोटी तक बर्फ ही बर्फ है। इस क्षेत्र में हेमकुंड में अभी पांच फीट बर्फ मौजूद है, जिसे हटाना एक बड़ी चुनौती बन गया है।
मुख्य द्वार और गुरुद्वारा तक रास्ता साफ किया गया
हालांकि, सेना ने गुरुद्वारा के साथ ही मुख्य द्वार के पास डिस्पेंसरी, लंगर और लोकपाल मंदिर तक का रास्ता पहले ही साफ कर दिया है। अब सेना हेमकुंड से घांघरिया की ओर अटलाकोटी से बर्फ हटाने का कार्य कर रही है। पहले ही सीढ़ी वाला रास्ता सुचारु कर दिया गया था, और अब केवल अटलाकोटी हिमखंड को काटकर रास्ता खोलना बाकी है। यह हिमखंड 15 फीट से अधिक ऊंचा और 150 मीटर लंबा है, इसलिए यहां सुरक्षित मार्ग निकालना एक कठिन चुनौती बन गया है।
मौसम की चुनौती, सेना का संकल्प और कार्य में तेजी
गुरुद्वारा श्री हेमकुंड साहिब मैनजेमेंट ट्रस्ट के सीईओ सरदार सेवा सिंह ने बताया कि हेमकुंड साहिब में शाम के समय रोजाना वर्षा व बर्फबारी हो रही है, जिससे कार्य प्रभावित हो रहा है। लेकिन इसके बावजूद सेना पूरी मनोरथ और समर्पण के साथ बर्फ हटाने का कार्य करती जा रही है।
स्वास्थ्य का ध्यान रखने के लिए चिकित्सक तैनात
कार्य में तेजी लाने के लिए सेना ने पांच और जवान हेमकुंड साहिब बुलाए हैं, जिससे जवानों और अधिकारियों की संख्या 27 हो गई है। इसके अलावा, सेना के साथ सहयोग कर रहे सेवादारों की संख्या 12 से बढ़ाकर 25 कर दी गई है। इसके साथ ही, धाम में तैनात किए गए एक चिकित्सक बर्फ हटाने में लगे लोगों के स्वास्थ्य का ध्यान रख रहे हैं।
हेमकुंड साहिब और लोकपाल लक्ष्मण मंदिर के पैदल मार्ग पर बर्फ हटाने का कार्य सेना की मेहनत और प्रतिबद्धता का प्रतीक है। बर्फबारी और कठिन मौसम के बावजूद, सेना के जवान अपनी पूरी ताकत से यह कार्य कर रहे हैं, ताकि 25 मई को हेमकुंड साहिब के कपाट श्रद्धालुओं के लिए खोले जा सकें। यह अभियान केवल बर्फ हटाने तक सीमित नहीं है, बल्कि भारत की सैन्य दृढ़ता और साहस का भी प्रतीक है।