राजस्थानराज्य

अब जिला अस्पताल में सप्ताह भर में डायलिसिस की सुविधा होगी शुरू

करौली

गंगापुर सिटी में एक साल के लंबे इंतजार के बाद अब जिला अस्पताल में सप्ताह भर में डायलिसिस की सुविधा शुरू होने की उम्मीद है। इसके लिए अस्पताल में बने डायलिसिस वार्ड में मशीन सहित बेड लगा दिए गए हैं। पांच दिन बाद वार्ड का उद्घाटन होने के बाद मरीजों को इसकी सुविधा मिलना शुरू हो जाएगी। अस्पताल प्रशासन ने इसके लिए सभी तैयारियां शुरू कर दी हैं।

अस्पताल के ईएनटी विशेषज्ञ डॉ. नरेंद्र सिंह और नर्सिंग ऑफिसर देवेंद्र शर्मा एक साल पहले जयपुर एसएमएस अस्पताल में 100 दिन का डायलिसिस प्रशिक्षण ले चुके हैं। इसके साथ ही जिस कंपनी को मशीनें लगाने का टेंडर मिला है, उसने एक टेक्नशियन भी यहां तैनात कर दिया है। तीन दिन पहले कंपनी के प्रतिनिधियों ने यहां आकर मशीन सहित अन्य उपकरणों को चलाकर उनकी जांच करने के बाद सभी सुविधाओं को दुरुस्त पाया है। अब 5 दिन के भीतर अस्पताल में डायलिसिस की नि:शुल्क सुविधा शुरू हो जाएगी। जिला चिकित्सा विभाग इसके लिए तैयारियों में जुटा है।

गौरतलब है कि अब तक डायलिसिस की सुविधा नहीं होने से मरीजों को काफी परेशानी होती थी। उन्हें प्राइवेट अस्पतालों या फिर करौली, सवाई माधोपुर और जयपुर जाना पड़ रहा था। अब राजकीय जिला अस्पताल में यह सुविधा मिलने से मरीजों को राहत मिलेगी। अस्पताल के आपातकालीन वार्ड की दूसरी मंजिल पर डायलिसिस वार्ड तैयार किया गया है और मशीनों सहित अन्य उपकरण लगाए गए हैं।

इस डायलिसिस सेंटर में मरीजों को 24 घंटे मशीन की सुविधा मिलेगी। वार्ड में एक स्पेशलिस्ट, एक मेडिकल स्पेशलिस्ट, टेक्नीशियन और सफाई कर्मचारी तैनात रहेंगे। डायलिसिस की सुविधा पूरी तरह निःशुल्क होगी। इसके लिए आयुष्मान कार्ड की जरूरत नहीं होगी। सिर्फ जिला अस्पताल के डॉक्टरों की सलाह पर डायलिसिस किया जाएगा। वार्ड में दो बेड लगाए लगाए गए है, इनमें से एक बेड रिजर्व रहेगा।

गौरतलब है कि किडनी की बीमारियों से ग्रस्त मरीज को हफ्ते में कम से कम दो बार डायलिसिस की जरुरत पड़ती है। जिला अस्पताल में यह सुविधा मिलने से मरीजों को आर्थिक राहत मिलेगी।

राजकीय जिला अस्पताल के फिजिशियन डॉ. आर.सी. मीना, डॉ. मोहम्मद अकरम खान, डॉ. कपिल जायसवाल और डायलिसिस की ट्रेनिंग ले चुके डॉ. नरेंद्र सिंह ने बताया कि किडनी खराब होने के संकेतों में जी मिचलाना, उल्टी, भूख न लगना, पैरों और टखनों में सूजन, खुजली, मांसपेशियों में ऐंठन, सांस लेने में दिक्कत, कमजोरी, वजन घटना, रक्त में यूरिया, क्रिएटिनिन और पोटेशियम की मात्रा बढ़ना, नींद न आना, बेहोशी और गंभीर स्थिति में मरीज का कोमा में चले शामिल हैं।

 

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button