
उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में कनेक्टिविटी को सुदृढ़ करने के उद्देश्य से ऋषिकेश–कर्णप्रयाग रेलवे परियोजना तेजी से प्रगति कर रही है। यह 125 किमी लंबी ब्रॉड गेज रेल लाइन न केवल चारधाम यात्रा को सुगम बनाएगी, बल्कि क्षेत्रीय विकास, पर्यटन, और सामरिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण मानी जा रही है।
📍 परियोजना का अवलोकन
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लंबाई: 125.2 किमी
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स्टेशनों की संख्या: 12 (योग नगरी ऋषिकेश से कर्णप्रयाग तक)
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सुरंगें: 16 मुख्य सुरंगें (कुल 105 किमी) और 12 बचाव सुरंगें (लगभग 98 किमी)
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निर्माण एजेंसी: रेल विकास निगम लिमिटेड (RVNL)
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लक्ष्य पूर्णता तिथि: दिसंबर 2026
🛠️ निर्माण कार्य में उल्लेखनीय प्रगति
परियोजना के तहत सुरंग निर्माण कार्य में उल्लेखनीय प्रगति हुई है। अब तक:
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16 में से 9 मुख्य सुरंगों का निर्माण पूरा हो चुका है।
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8 प्रमुख पुलों का निर्माण भी संपन्न हो गया है।
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कर्णप्रयाग स्टेशन को टर्मिनल स्टेशन के रूप में विकसित किया जा रहा है, जहाँ 26 रेल लाइनों की योजना है, जिसमें मालगाड़ियों के लिए विशेष लाइनें, वाशिंग लाइन, सिक लाइन और रिलीफ ट्रेनों के लिए अलग ट्रैक शामिल होंगे ।
🚄 तकनीकी उपलब्धियाँ
यह परियोजना तकनीकी दृष्टिकोण से भी उल्लेखनीय है:
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टनल बोरिंग मशीन (TBM) का उपयोग पहली बार हिमालयी रेल परियोजना में किया गया है, जिससे सुरंग निर्माण की गति में वृद्धि हुई है।
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सुरंग T15, जो 7.1 किमी लंबी है, का निर्माण मार्च 2025 में पूरा हुआ, जिसमें लगभग 9 मीटर व्यास की खुदाई की गई ।
🏗️ स्टेशनों का विकास
परियोजना के तहत 12 स्टेशनों का निर्माण किया जा रहा है:
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योग नगरी ऋषिकेश और वीरभद्र स्टेशनों का निर्माण कार्य पूरा हो चुका है।
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शिवपुरी और व्यासी स्टेशनों के निर्माण के लिए तकनीकी प्रक्रिया लगभग पूरी हो गई है, और मई 2025 के पहले सप्ताह में इन स्टेशनों के निर्माण का कार्य शुरू होने की संभावना है।
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कर्णप्रयाग स्टेशन को टर्मिनल स्टेशन के रूप में विकसित किया जा रहा है, जहाँ 26 रेल लाइनों की योजना है, जिसमें मालगाड़ियों के लिए विशेष लाइनें, वाशिंग लाइन, सिक लाइन और रिलीफ ट्रेनों के लिए अलग ट्रैक शामिल होंगे ।
🌄 परियोजना का महत्व
धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा
यह रेल लाइन चारधाम यात्रा को सुगम बनाएगी, जिससे बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री जैसे तीर्थस्थलों तक पहुंच आसान होगी।
क्षेत्रीय विकास
रेल लाइन के माध्यम से स्थानीय लोगों को बेहतर परिवहन सुविधा मिलेगी, जिससे शिक्षा, स्वास्थ्य और व्यापार के अवसर बढ़ेंगे।
सामरिक दृष्टिकोण
यह परियोजना सामरिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह भारत-चीन सीमा के निकटवर्ती क्षेत्रों में सैन्य लॉजिस्टिक्स को सुदृढ़ करेगी।
📅 भविष्य की योजनाएँ
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दिसंबर 2026 तक परियोजना के पहले चरण को पूरा करने का लक्ष्य है।
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ट्रैक बिछाने, विद्युतीकरण और सिग्नलिंग का कार्य जल्द ही शुरू किया जाएगा ।
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