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सिद्धपीठ लाटू देवता मंदिर के कपाट खुले

नंदा देवी राजजात यात्रा के दिए निर्देश

🏔️ भूमिका: आस्था, परंपरा और संस्कृति का संगम

उत्तराखंड की देवभूमि एक बार फिर श्रद्धा और परंपरा के रंग में रंगी नजर आई जब 17 मई 2025 को प्रसिद्ध सिद्धपीठ लाटू देवता मंदिर के कपाट विधिवत रूप से श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए गए। यह मंदिर चमोली जिले के वाण गांव में स्थित है और हर साल वैशाख पूर्णिमा के पावन अवसर पर इसके कपाट खोले जाते हैं। इस बार कपाट खुलने के अवसर पर मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी स्वयं उपस्थित हुए और उन्होंने पूजा-अर्चना कर आशीर्वाद प्राप्त किया।


🛕 सिद्धपीठ लाटू देवता मंदिर: एक परिचय

लाटू देवता को नंदा देवी की रक्षा करने वाला परम भक्त और योद्धा माना जाता है। यह मंदिर नंदा देवी राजजात यात्रा से विशेष रूप से जुड़ा हुआ है। यह यात्रा 12 साल में एक बार होती है, जिसमें लाटू देवता की विशेष भूमिका होती है।

मंदिर एक अनोखी परंपरा के लिए भी जाना जाता है — यहाँ कोई भी भक्त मुख्य गर्भगृह के भीतर नहीं जाता, केवल पुजारी ही आंखों पर पट्टी बांधकर पूजा करता है। ऐसा माना जाता है कि लाटू देवता की प्रत्यक्ष मूर्ति का दर्शन किसी भी सामान्य मानव के लिए वर्जित है।


🙏 मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने की पूजा-अर्चना

कपाट खुलने के इस विशेष अवसर पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मंदिर में पूजा कर राज्य की सुख-समृद्धि और नागरिकों की सुरक्षा की कामना की। उन्होंने इस दौरान स्थानीय ग्रामीणों, श्रद्धालुओं और पुजारियों से भी मुलाकात की। मुख्यमंत्री ने अपने भाषण में कहा:

“लाटू देवता उत्तराखंड की संस्कृति और आध्यात्मिक विरासत के प्रतीक हैं। यहाँ आकर एक अलौकिक ऊर्जा का अनुभव होता है। सरकार राज्य की धार्मिक परंपराओं को संरक्षित रखने के लिए प्रतिबद्ध है।”


🏞️ नंदा देवी राजजात यात्रा की तैयारियों पर बल

मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि आगामी नंदा देवी राजजात यात्रा के लिए:

  • यात्रा मार्ग की मरम्मत और सुरक्षा व्यवस्था की जाए।

  • श्रद्धालुओं के लिए चिकित्सा, जल और विश्राम स्थलों की व्यवस्था की जाए।

  • स्थानीय पर्यटन और संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए प्रचार-प्रसार किया जाए।

उन्होंने कहा कि लाटू देवता मंदिर और नंदा देवी यात्रा धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने के महत्वपूर्ण केंद्र बन सकते हैं।


🌄 हजारों श्रद्धालुओं ने की भागीदारी

कपाट खुलने के अवसर पर हजारों की संख्या में श्रद्धालु दूर-दूर से वाण गांव पहुंचे। पारंपरिक वाद्ययंत्रों की धुन, भगवती गीतों और पूजा विधानों के साथ माहौल पूरी तरह धार्मिक उत्सव में परिवर्तित हो गया। स्थानीय महिलाएं पारंपरिक पोशाकों में सजकर “जगर” गीतों के माध्यम से लाटू देवता की स्तुति कर रही थीं।


📸 पर्यटन को मिलेगा बढ़ावा

उत्तराखंड सरकार ने इसे एक अवसर के रूप में लेते हुए लाटू मंदिर को धार्मिक पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की योजना बनाई है। वाण गांव से लेकर बगजी बुग्याल और आगे के ट्रेकिंग रूट्स को “धार्मिक-पर्यटक कॉरिडोर” के रूप में प्रचारित किया जाएगा।

इसके तहत:

  • होम स्टे स्कीम को बढ़ावा मिलेगा।

  • स्थानीय हस्तशिल्प और उत्पाद बिक्री के लिए स्टॉल लगाए जाएंगे।

  • स्थानीय युवाओं को गाइड और वालंटियर के रूप में प्रशिक्षण दिया जाएगा।


📖 आस्था और रहस्य का मिलन

लाटू देवता मंदिर न केवल एक धार्मिक स्थल है, बल्कि एक रहस्यमयी और आध्यात्मिक अनुभव भी प्रदान करता है। यह माना जाता है कि लाटू देवता, नंदा देवी के साथ संवाद करते हैं, और उनके आदेश से ही राजजात यात्रा आरंभ होती है।

यह मंदिर ऐसे श्रद्धालुओं के लिए विशेष है जो:

  • आस्था में विश्वास रखते हैं

  • संस्कृति और परंपरा का पालन करना चाहते हैं

  • प्रकृति के शांत वातावरण में आध्यात्मिक शांति ढूंढते हैं

    📢 निष्कर्ष: संस्कृति, श्रद्धा और विकास की दिशा में कदम

    लाटू देवता मंदिर के कपाट खुलने के साथ ही न केवल श्रद्धालुओं की आस्था को ऊर्जा मिली, बल्कि राज्य सरकार द्वारा धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने के प्रयासों को भी मजबूती मिली है। उत्तराखंड की समृद्ध धार्मिक विरासत और पर्यावरणीय सौंदर्य को एक साथ जोड़कर पर्यटन, रोजगार और सांस्कृतिक विकास की नई राहें खोली जा सकती हैं। आने वाले समय में लाटू देवता मंदिर एक अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्थल के रूप में उभर सकता है।


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