राजनीतिक

धनखड़ के इस्तीफे से BJP की रणनीति पर असर, राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव में लग सकती है देरी

नई दिल्ली

देश की सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (BJP) अपने नए राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव को लेकर असमंजस की स्थिति में फंसती जा रही है। पहले उसके सामने पार्टी के सर्वोच्च पद के लिए अपने वैचारिक संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के साथ सहमति बनाने की चुनौती थी। अब भाजपा को देश के नए उपराष्ट्रपति पद के लिए भी माथापच्ची करनी पड़ेगी। भाजपा अध्यक्ष का चुनाव और लंबा खिंच गया है। उपराष्ट्रपति के अचानक इस्तीफा देने से यह स्थिति पैदा हुई है। पार्टी का पूरा ध्यान अब नए उपराष्ट्रपति के चुनाव पर केंद्रित हो गया है और संगठन के चुनाव का मामला एक बार फिर ठंडा पड़ गया है।

नए पार्टी अध्यक्ष को लेकर चर्चाएं फिर से बंद हो गई हैं और इसके चलते कई राज्यों के अध्यक्षों का मामला भी लटक गया है। हालांकि, अभी यह स्पष्ट नहीं है कि पार्टी के संगठन चुनाव अब कब पूरे होंगे, लेकिन फिलहाल मॉनसून सत्र में ऐसा होता नहीं दिख रहा है। उसके बाद की स्थितियां भी साफ नहीं है, क्योंकि इसके बाद बिहार विधानसभा चुनाव की सरगर्मी बढ़ जाएगी। ऐसे में सबसे ज्यादा परेशानी उन राज्यों में हैं, जहां अभी तक अध्यक्ष का चुनाव नहीं हो सका। इनमें उत्तर प्रदेश, गुजरात, कर्नाटक जैसे बड़े राज्य भी शामिल हैं। इन राज्यों के पार्टी कार्यकर्ताओं को अभी और इंतजार करना पड़ सकता है।

रेस में इन दिग्गजों के नाम
आपको बता दें कि राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के लिए जिन दिग्गज नेताओं के नाम चर्चा में हैं, उनमें धर्मेंद्र प्रधान (केंद्रीय मंत्री), शिवराज सिंह चौहान (कैबिनेट मंत्री), मनोहर लाल खट्टर (कैबिनेट मंत्री), भूपेंद्र यादव (कैबिनेट मंत्री) जैसे दिग्गज शामिल हैं। इनमें से कुछ नाम संगठनात्मक अनुभव के आधार पर मजबूत माने जा रहे हैं, तो कुछ नाम राजनीतिक प्रतिनिधित्व और सामाजिक संतुलन को ध्यान में रखकर सामने आए हैं।

28 प्रदेश अध्यक्ष बदले गए
BJP ने अब तक 36 में से 28 राज्यों में नए या फिर से नियुक्त अध्यक्षों की घोषणा कर दी है। बाकी महत्वपूर्ण राज्य जैसे कि उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, हरियाणा और गुजरात की घोषणा बाकी है। इस जमीनी पुनर्गठन से पार्टी एक नए राष्ट्रीय अध्यक्ष के चयन के लिए मंच तैयार कर रही है।

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