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SYL विवाद पर बोले CM सैनी: काफी पुराना मुद्दा, सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई से पहले फिर होगी बैठक

चंडीगढ़. 
सतलुज-यमुना लिंक नहर (एसवाईएल) विवाद पर मंगलवार को केंद्रीय जल शक्ति मंत्री सीआर पाटिल की अध्यक्षता में हुई बैठक में हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी और पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान के बीच सकारात्मक चर्चा हुई। बैठक के बाद सीएम सैनी ने कहा कि यह लंबे समय से चला आ रहा विषय है। इसको लेकर 9 जुलाई को भी बैठक आयोजित हुई थी, जिसमें काफी सकारात्मक चर्चा हुई। आज उससे एक कदम आगे बढ़कर बातचीत हुई है। 13 अगस्त को इस मसले पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होनी है। इससे पहले एक बार फिर दोनों मुख्यमंत्री आपस में बैठेंगे और इस मसले पर चर्चा करेंगे। 

वहीं, भगवंत मान ने कहा कि केंद्र सरकार सिंधु जल संधि को रद्द ही रखे। इसे किसी के दबाव में बहाल मत करे। इतना ही नहीं सिंधु व उसकी सहायक नदियों का पानी भी पंजाब की ओर डायवर्ट कर दिया जाए, क्योंकि पंजाब ही इस पानी को रोक सकता है। यदि ऐसा होता है तो पंजाब न केवल हरियाणा बल्कि राजस्थान को भी जल दे सकता है।  दोनों मुख्यमंत्रियों ने पत्रकारों से कहा कि वे इस मसले पर बहुत ही सकारात्मक वातावरण के साथ सुप्रीम कोर्ट में जाएंगे और जल्द इस मसले का हल भी निकालेंगे। इस बैठक में केंद्रीय सचिव देबाश्री मुखर्जी, मुख्यमंत्री सैनी के मुख्य प्रधान सचिव राजेश खुल्लर, सिंचाई एवं जल संसाधन विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव अनुराग अग्रवाल सहित सिंचाई विभाग के कई वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित रहे।

सिंधु जल संधि को लेकर मान ने केंद्र पर कसा तंज
सीएम मान ने सिंधु जल संधि को लेकर मजाकिया अंदाज में केंद्र सरकार पर तंज भी कसा। कहा-सिंधु जल संधि पर यदि अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप कोई पोस्ट कर दखल न दें तो पंजाब हरियाणा समेत अन्य राज्यों को भी जल देने की स्थिति में आ सकता है। हालांकि सीएम सैनी ने सिंधु जल संधि को दूसरा विषय बताया।

वाईएसएल की थ्योरी पर बढ़ना चाहिए 
मान ने वाईएसएल की थ्योरी पर भी चुटकी ली। उन्होंने कहा कि पंजाब में मौजूदा जल संसाधनों के हालात यदि देखें तो एसवाईएल को छोड़कर अब वाईएसएल (यमुना-सतलुज लिंक नहर) की थ्योरी पर बढ़ना होगा। पंजाब आज सतलुज नहर के जरिये हरियाणा को पानी देने की स्थिति में नहीं है। यमुना का उफान यूपी को डुबोता है, उसके पानी को पंजाब की ओर डायवर्ट करना होगा। इसमें ग्रेविटी भी कोई बाधा नहीं बनेगी और पंजाब सभी पड़ोसी राज्यों को पानी भी दे सकेगा। 

बारिशों में ज्यादा पानी आने पर कहते हैं इसे पंजाब संभाले…ऐसा अब नहीं चलेगा 
मुख्यमंत्री मान ने कहा कि सिंधु जल संधि यदि रद्द रहती है तो सहायक नदियों का पानी पंजाब में ही रोका जा सकता है। इसके लिए पंजाब ही फर्स्ट चैनल है, क्योंकि हमारे पास पर्याप्त बांध हैं। इस पानी को पंजाब की ओर डायवर्ट कर भाखड़ा, पौंग, रणजीत सागर और शाहपुर कंडी डैम के जरिये रोका जा सकता है। उसके बाद विभिन्न चैनलों के माध्यम से इसे अन्य प्रदेशों में भेजा जा सकता है। इससे 24 एमएएफ (मिलियन एकड़ फुट) पानी मिल जाएगा जबकि झगड़ा सिर्फ 2-3 एमएएफ का है।

मान ने कहा कि आज पहाड़ों पर बादल फट रहे हैं, अत्यधिक पानी से तबाही मच रही है, लिहाजा पानी को संभालने व संचय की जरूरत है। जब पहाड़ों से ज्यादा पानी आता है तो कहा जाता है कि ये पानी पंजाब संभाले और जब कमी होती है, तो कहा जाता है कि पंजाब पानी नहीं दे रहा। ऐसा अब नहीं चल सकता। मान ने कहा कि हमें तो यह विवाद विरासत में मिला है, इस पर आज तक राजनीति ही होती आई है। अब उम्मीद है मसला हल हो जाएगा।

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