मध्य प्रदेश

फर्जी डॉक्टर ने की थी विधानसभा के पूर्व स्पीकर की हार्ट सर्जरी, 20 दिन बाद हो गया था निधन

  दमोह
दमोह जिले के एक मिशनरी अस्पताल में 7 मरीजों की मौत के मामले में आरोपी फर्जी हृदय रोग विशेषज्ञ ने कथित तौर पर 2006 में छत्तीसगढ़ के एक प्राइवेट अस्पताल में पूर्व विधानसभा अध्यक्ष और कांग्रेस नेता राजेंद्र प्रसाद शुक्ल की सर्जरी की थी, जिसके बाद राजनेता की मौत हो गई थी.

मध्यप्रदेश पुलिस ने दमोह जिले के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (CMHO) एम के जैन की शिकायत पर रविवार आधी रात को आरोपी कथित डॉक्टर नरेंद्र जॉन कैम के खिलाफ FIR दर्ज की गई है.

बिलासपुर जिले के कोटा विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस के विधायक राजेंद्र प्रसाद शुक्ल की 20 अगस्त 2006 को छत्तीसगढ़ के बिलासपुर शहर के अपोलो अस्पताल में मौत हो गई थी. उन्होंने 2000 से 2003 तक छत्तीसगढ़ विधानसभा के पहले अध्यक्ष के रूप में कार्य किया था.

शुक्ल के सबसे छोटे बेटे प्रदीप शुक्ल (62) ने कहा कि फर्जी डॉक्टर नरेंद्र विक्रमादित्य यादव 2006 में अपोलो अस्पताल में सेवा दे रहा था, जब उनके पिता वहां भर्ती थे.

उन्होंने कहा, यादव ने मेरे पिता के हृदय की सर्जरी का सुझाव दिया और उसे अंजाम दिया. इसके बाद उन्हें 20 अगस्त 2006 को मृत घोषित किए जाने से पहले करीब 18 दिनों तक वेंटिलेटर पर रखा गया.

प्रदीप शुक्ल ने बताया, यादव ने एक-दो महीने पहले ही अपोलो अस्पताल में अपनी सेवा देना शुरू किया था. तब अपोलो अस्पताल ने उन्हें मध्य भारत के सर्वश्रेष्ठ हृदय रोग विशेषज्ञ के रूप में पेश किया था, जो लेजर का उपयोग करके सर्जरी करते हैं. बाद में, हमें दूसरों से पता चला कि यादव के पास डॉक्टर की डिग्री नहीं थी और वह एक धोखेबाज था. यहां तक कि उसके खिलाफ पहले भी शिकायतें की गई थी और इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की बिलासपुर इकाई ने उनकी जांच की थी.

उन्होंने कहा, मेरे पिता की मृत्यु के बाद यादव द्वारा इलाज किए गए रोगियों की मृत्यु के कुछ और मामले सामने आए, जिसके बाद अस्पताल प्रबंधन ने उन्हें अपोलो अस्पताल छोड़ने के लिए कहा. यादव द्वारा इलाज किए गए लगभग 80 प्रतिशत रोगियों की अस्पताल में मृत्यु हो गई थी.

शुक्ल ने कहा, एक तरह से, हमारे पिता और अन्य रोगियों की हत्या कर दी गई. जब मेरे पिता की मृत्यु हुई, तब वह विधायक थे और उनके इलाज का खर्च राज्य सरकार ने वहन किया था. उन्होंने कहा कि यादव और अपोलो अस्पताल के खिलाफ जांच की जानी चाहिए, क्योंकि उन्होंने भी सरकार को धोखा दिया है.

राजेंद्र प्रसाद शुक्ल के दूसरे बेटे और जस्टिस (सेवानिवृत्त) अनिल शुक्ल ने कहा कि मध्यप्रदेश की तरह छत्तीसगढ़ में भी यादव और जिस अस्पताल में वे कार्यरत थे, उनके खिलाफ FIR दर्ज कर जांच की जानी चाहिए.

सर्जरी के बाद स्पीकर की हुई मौत

पूर्व विधायक के सबसे छोटे बेटे प्रदीप शुक्ला (62) ने कहा कि कथित फर्जी डॉक्टर नरेंद्र विक्रमादित्य यादव 2006 में अपोलो अस्पताल में काम कर रहे थे, जब उनके पिता वहां भर्ती हुए थे. प्रदीप शुक्ला ने कहा, यादव ने मेरे पिता की हार्ट सर्जरी की थी. इसी के बाद वो 20 अगस्त को दम तोड़ने से पहले 18 दिन तक वेंटिलेटर पर थे. यादव ने अपोलो अस्पताल 1-2 महीने पहले ही ज्वाइन किया था. प्रदीप शुक्ला ने दावा किया कि उन्हें अपोलो अस्पताल ने बताया था कि यादव बेस्ट कार्डियोलॉजिस्ट हैं और वो लेजर का इस्तेमाल कर के सर्जरी करते हैं.

प्रदीप शुक्ला ने आगे कहा कि हमें बाद में पता लगा कि यादव के पास कोई डॉक्टर की डिग्री नहीं है और वो एक फ्रॉड है. उनके खिलाफ पहले भी शिकायतें की गई थीं. इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की बिलासपुर यूनिट ने इनकी जांच की थी. प्रदीप शुक्ला ने आगे कहा, मेरे पिता की मृत्यु के बाद, यादव ने जिन मरीजों का इलाज किया उनकी मौत के कुछ और मामले भी सामने आए हैं, जिसके बाद उन्हें अपोलो अस्पताल छोड़ने के लिए कहा गया.
पिता की हत्या का लगाया आरोप

प्रदीप शुक्ला ने यह आरोप लगाते हुए कि यादव ने जिन मरीजों का इलाज किया उन में से लगभग 80 प्रतिशत मरीजों की अस्पताल में मृत्यु हो गई, दावा किया कि उनके पिता और अन्य की “हत्या” की गई थी. दीप शुक्ला ने आगे कहा, जब मेरे पिता की मृत्यु हुई, तब वो विधायक थे और उनके इलाज का खर्च राज्य सरकार ने उठाया था. यादव और अपोलो अस्पताल के खिलाफ जांच की जानी चाहिए क्योंकि उन्होंने भी सरकार को धोखा दिया है.

पूर्व विधायक के एक और बेटे, जस्टिस (रिटायर) अनिल शुक्ला ने कहा कि यादव और उस अस्पताल के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जानी चाहिए जहां वो उस समय काम कर रहे थे. इसी के साथ अपोलो अस्पताल के पब्लिक रिलेशन अधिकारी देवेश गोपाल ने इस बात की पुष्टि की कि यादव ने वहां सेवा की थी.
डॉक्टर को लेकर डाटा किया जा रहा इकट्ठा

पब्लिक रिलेशन अधिकारी गोपाल ने कहा, यादव लगभग 18-19 साल पहले अस्पताल से जुड़े थे. यह बहुत पुराना मामला है. वो कितने समय तक तैनात थे और उन्होंने कितने मरीजों को संभाला, जैसे सटीक आंकड़े एकत्र किए जा रहे हैं. दस्तावेज एकत्र होने के बाद सभी डाटा शेयर किया जाएगा.

बिलासपुर के चीफ मेडिकल एंड हेल्थ ऑफिसर डॉ. प्रमोद तिवारी ने कहा कि मामला सामने आने के बाद उन्होंने अपोलो अस्पताल से यादव के संबंध में सारी जानकारी मांगी है. डॉ. तिवारी ने कहा, अस्पताल मेनेजमेंट को मंगलवार सुबह डॉ. नरेंद्र विक्रमादित्य के बारे में जानकारी जुटाने के लिए कहा गया है. जो जानकारी मांगी गई है, उसमें यह शामिल है कि वो कब से वहां काम कर रहे थे, उनकी डिग्री क्या थी और उन्होंने कितने लोगों का ऑपरेशन किया था.

उन्होंने कहा कि अगर मामले में कोई अनियमितता पाई जाती है तो एक उच्च स्तरीय जांच समिति गठित की जाएगी और उसके अनुसार संबंधित व्यक्ति और अस्पताल प्रबंधन के खिलाफ आगे की कार्रवाई की जाएगी.

अपोलो अस्पताल के जनसंपर्क अधिकारी देवेश गोपाल ने पुष्टि की कि यादव ने वहां काम किया था. उन्होंने यह भी कहा कि अस्पताल में उनके कार्यकाल के दौरान उनसे संबंधित दस्तावेज एकत्र किए जा रहे हैं, जिसके बाद उनके बारे में पूरी जानकारी साझा की जाएगी.

गोपाल ने कहा, वे (यादव) करीब 18-19 साल पहले (अस्पताल से) जुड़े थे. यह बहुत पुराना मामला है. उनके बारे में सटीक जानकारी एकत्र की जा रही है, जैसे कि वे कितने समय तक तैनात रहे और उन्होंने कितने मरीजों का इलाज किया. सभी दस्तावेज एकत्र होने के बाद सभी तथ्यात्मक विवरण साझा किए जाएंगे.

बिलासपुर के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉक्टर प्रमोद तिवारी ने बताया कि मामला सामने आने के बाद उन्होंने अपोलो अस्पताल प्रबंधन से यादव के बारे में सारी जानकारी मांगी है. अस्पताल प्रबंधन से 8 अप्रैल (मंगलवार) की सुबह 18-19 साल पहले वहां कार्यरत रहे डॉक्टर नरेंद्र विक्रमादित्य के बारे में जानकारी देने को कहा गया है.

डॉक्टर तिवारी ने बताया कि जो जानकारी मांगी गई है, उसमें यह भी शामिल है कि वह कब से वहां काम कर रहा था, उसकी डिग्री क्या है और उसने कितने लोगों का ऑपरेशन किया.

उन्होंने कहा कि अगर मामले में कोई अनियमितता पाई जाती है तो उच्च स्तरीय जांच समिति गठित कर संबंधित व्यक्ति और अस्पताल प्रबंधन के खिलाफ आगे की कार्रवाई की जाएगी.

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