फर्जी बैंक गारंटी केस में ED का शिकंजा, अनिल अंबानी पर बढ़ी कानूनी तलवार

मुंबई
रिलायंस ग्रुप के चेयरमैन और एमडी अनिल अंबानी की मुश्किलें बढ़ती हुई दिख रही हैं. बैंक लोन फ्रॉड केस के बाद अब ईडी ने 68 करोड़ रुपये की फर्जी बैंक गारंटी मामले में जांच तेज कर दी है. इसी सिलसिले में शुक्रवार को ईडी ने ओडिशा और कोलकाता में छापेमारी की. ईडी ने इस मामले में दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा की ओर से 11 नवंबर, 2024 को दर्ज एक मामले के आधार पर एक ईसीआईआर (प्रवर्तन मामला सूचना रिपोर्ट) दर्ज की है.
ईडी का आरोप है कि अनिल अंबानी की कंपनी को इसी फर्जी बैंक गारंटी के आधार पर ठेका दिया गया था. भुवनेश्वर में ईडी ने मेसर्स बिस्वाल ट्रेडलिंक प्राइवेट लिमिटेड और उसके निदेशकों से जुड़े 3 परिसरों पर छापा मारा और तलाशी ली. वहीं कोलकाता में इसी फर्म के एक सहयोगी के परिसर में ईडी ने छापेमारी की. मेसर्स बिस्वाल ट्रेडलिंक प्राइवेट लिमिटेड (ओडिशा स्थित), इसके निदेशक और सहयोगी 8% कमीशन पर फर्जी बैंक गारंटी जारी करने में संलिप्त पाए गए.'
कमीशन देने के लिए फर्जी बिल तैयार किए
ईडी ने आरोप लगाया है कि अनिल अंबानी की कंपनी ने फर्म को कमीशन देने के लिए फर्जी बिल भी तैयार किए थे. कई अघोषित बैंक खातों का पता चला है. इन बैंक खातों में करोड़ों रुपये के संदिग्ध लेनदेन पाए गए हैं. संघीय एजेंसी ने कहा कि उसने अनिल अंबानी समूह की कंपनियों और भारतीय सौर ऊर्जा निगम (SECI) को सौंपी गई ₹68.2 करोड़ की एक फर्जी बैंक गारंटी के बीच संबंधों का खुलासा किया है. इसी से जुड़े एक मामले में, पहले जब्त किए गए सबूत (अनिल अंबानी समूह की कंपनियों के मामले में 24.07.2025 को की गई तलाशी के दौरान) का वर्तमान जांच से सीधा संबंध है.
SBI का फर्जी ईमेल डोमेन इस्तेमाल किया
ईडी के अनुसार, यह फर्जी गारंटी मेसर्स रिलायंस एनयू बेस लिमिटेड और मेसर्स महाराष्ट्र एनर्जी जनरेशन लिमिटेड के नाम पर जारी की गई थी, जो दोनों अनिल अंबानी समूह से जुड़ी हैं. फर्जी बैंक गारंटी को असली बताने के प्रयास में, अनिल अंबानी के रिलायंस ग्रुप ने कथित तौर पर SECI से संपर्क करने के लिए आधिकारिक "sbi.co.in" के बजाय एक नकली ईमेल डोमेन, "s-bi.co.in" का इस्तेमाल किया. ईडी ने इस नकली डोमेन के सोर्स का पता लगाने के लिए नेशनल इंटरनेट एक्सचेंज ऑफ इंडिया (NIXI) से डोमेन रजिस्ट्रेश का विवरण मांगा है.
कंपनी के पते पर मिला रिश्तेदार का आवास
ईडी के अनुसार, कंपनी केवल एक कागजी संस्था है- इसका पंजीकृत कार्यालय एक रिश्तेदार की आवासीय संपत्ति है. पते पर कंपनी का कोई वैधानिक रिकॉर्ड नहीं मिला. कई कंपनियों के साथ संदिग्ध वित्तीय लेन-देन का पता चला है. कंपनी से जुड़े प्रमुख लोग टेलीग्राम ऐप का इस्तेमाल 'डिसअपीयरिंग मैसेज' फीचर इनेबल करके चैट करते पाए गए हैं, जो बातचीत को छिपाने के प्रयासों का संकेत देता है. इससे पहले अंबानी को ईडी ने शुक्रवार को कथित ₹17,000 करोड़ के लोन फ्रॉड केस की चल रही जांच के सिलसिले में समन जारी किया और पूछताछ के लिए 5 अगस्त को अपने नई दिल्ली में दफ्तर पेश होने को कहा.