
नई दिल्ली
दिल्ली के मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने 27 पंजीकृत राजनीतिक पार्टियों के खिलाफ सख्त रुख अपनाया है। इन पार्टियों को पिछले छह सालों से कोई भी चुनाव न लड़ने पर कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। निर्वाचन आयोग ने कहा, यह जनप्रतिनिधित्व कानून का उल्लंघन है। आगे इन पार्टियों को चुनाव आयोग की लिस्ट से हटाया जा सकता है।
अधिकारियों ने बताया कि इन पार्टियों के अध्यक्षों और महासचिवों को लिखित में जवाब देने और मुख्य निर्वाचन अधिकारी के सामने पेश होने का समय दिया गया था, लेकिन सिर्फ चार पार्टियों ने जवाब दिया। मुख्य निर्वाचन अधिकारी आर. एलिस वाज ने कहा कि वे 27 जुलाई तक चुनाव आयोग को रिपोर्ट भेज देंगे।
27 पार्टियों ने 2019 से नहीं लड़ा कोई चुनाव
अधिकारी के अनुसार, चुनाव आयोग में राजनीतिक पार्टियों जनप्रतिनिधित्व कानून, 1951 की धारा 29 के तहत रजिस्टर होती हैं। रजिस्ट्रेशन के बाद वह चुनाव में भाग ले सकती हैं। इन पार्टियों को विशेष प्रकार की छूटें भी दी जाती है। जिसमें टैक्स में छूट, चुनाव चिह्न और स्टार प्रचारक जैसी सुविधाएं मिलती हैं। लेकिन दिल्ली में 27 पार्टियों ने 2019 से कोई भी चुनाव नहीं लड़ा है।
राजनीतिक पार्टियों की लिस्ट से हटाया जा सकता है
नोटिस में कहा गया है, पिछले छह सालों से चुनाव न लड़ने से साफ है कि पार्टी ने धारा 29A के तहत राजनीतिक पार्टी के तौर पर काम करना बंद कर दिया है। इसलिए, आयोग भारत के संविधान के अनुच्छेद 324 और जनप्रतिनिधित्व कानून, 1951 की धारा 29A के तहत इन राजनीतिक पार्टियों को लिस्ट से हटाने का प्रस्ताव रखता है।
निर्वाचन आयोग द्वारा जिन पार्टियों को नोटिस भेजा गया है, वही सभी पार्टियां लोकसभा, विधानसभा और नगर निगम के चुनावों में हमेशा दिखती है लेकिन कुछ खास वोट नहीं पाती हैं। 2025 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी और उसके साथियों को 47.2 प्रतिशत वोट मिले, आप को 43.6 प्रतिशत और कांग्रेस को 6.3 प्रतिशत वोट मिले। बाकी राष्ट्रीय पार्टियों, गैर-मान्यता प्राप्त पार्टियों और निर्दलीय उम्मीदवारों को मिलाकर सिर्फ 2.4 प्रतिशत वोट मिले।
इन पार्टियों को भेजा गया नोटिस
जिन पार्टियों को नोटिस भेजा गया है, उनमें भारतीय रोजगार पार्टी, जन आंदोलन मोर्चा, मानव जागृति मंच, नवयुग पार्टी, ओजस्वी पार्टी, राष्ट्रीय जन कल्याण पार्टी, जनता सरकार पार्टी, ऑल इंडिया वीमेन यूनाइटेड पार्टी और आजाद भारत कांग्रेस शामिल हैं। चुनाव अधिकारी ने पार्टियों को 18 जुलाई तक जवाब देने का समय दिया था।