
बीकानेर
भाजपा के वरिष्ठ नेता और तीन बार विधायक रह चुके किशनाराम नाई का सोमवार देर रात निधन हो गया। वे 94 वर्ष के थे और लंबे समय से किडनी तथा सीने में संक्रमण की बीमारी से जूझ रहे थे। श्री डूंगरगढ़ स्थित अपने निवास पर उन्होंने अंतिम सांस ली। उनके निधन से राजस्थान की राजनीति में शोक की लहर दौड़ गई है।
उनकी अंतिम यात्रा मंगलवार दोपहर 2 बजे श्रीडूंगरगढ़ के कालू रोड स्थित मोक्षधाम पहुंचेगी, जहां उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा। उनके पड़पोते करण आशीष जाड़ेवाल ने यह जानकारी दी।
उन्होंने वर्ष 1956 में राजनीति में कदम रखा था और भाजपा के टिकट पर तीन बार विधायक चुने गए और श्रीडूंगरगढ़ नगर पालिका के चेयरमैन, भाजपा बीकानेर देहात और चूरू जिलाध्यक्ष जैसे महत्वपूर्ण पदों पर कार्यरत रहे। उल्लेखनीय है कि पहले श्रीडूंगरगढ़ चूरू जिले का हिस्सा था, तब वे चूरू भाजपा देहात अध्यक्ष बने। बाद में जब यह क्षेत्र बीकानेर जिले में सम्मिलित हुआ तो उन्होंने बीकानेर देहात अध्यक्ष की जिम्मेदारी संभाली।
वर्ष 1990 में वे पहली बार चर्चा में तब आए जब उन्होंने दिग्गज नेता कुंभाराम आर्य को पराजित कर विधानसभा में प्रवेश किया। इसके बाद 1993 में जब भैरोंसिंह शेखावत सरकार पर संकट के बादल मंडरा रहे थे, तब किशनाराम नाई ने 'संकटमोचक' की भूमिका निभाते हुए सरकार को संभालने में अहम योगदान दिया और इसी के चलते वे शेखावत के विश्वासपात्रों में गिने जाने लगे।
किशनाराम नाई के निधन पर केंद्रीय मंत्री अर्जुनराम मेघवाल, विश्वकर्मा कौशल विकास बोर्ड के अध्यक्ष रामगोपाल सुथार, पूर्व विधायक बिहारीलाल बिश्नोई, भाजपा नेता अशोक भाटी सहित कई वरिष्ठ नेताओं ने गहरा शोक व्यक्त किया। नेताओं ने उन्हें एक जुझारू, अनुभवी और जमीन से जुड़े नेता के रूप में याद किया, जिन्होंने सदैव पिछड़े वर्ग और ग्रामीण जनमानस की आवाज को बुलंद किया। उनके निधन को क्षेत्रीय राजनीति के लिए अपूरणीय क्षति माना जा रहा है। भाजपा कार्यकर्ता और समर्थक बड़ी संख्या में उन्हें अंतिम श्रद्धांजलि देने उनके निवास पर पहुंच रहे हैं।