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हरियाणा के स्वास्थ्य शिक्षा शुरू करने वाला हरियाणा पहला राज्य, स्कूलों में चलेगा स्वास्थ्य जीवन अभियान

चंडीगढ़
ग्लोबल हेल्थ एंड एजुकेशन पर यूनेस्को चेयर के लिए भारत के राष्ट्रीय प्रतिनिधि प्रसिद्ध वैज्ञानिक एवं स्वास्थ्य जागरूकता के पैरोकार डॉ. राहुल मेहरा ने हरियाणा के स्कूली बच्चों के लिए प्रदेश व्यापी स्वास्थ्य अभियान शुरू करने का ऐलान किया है। जिसका नाम ‘कांउटडाउन टू ए हेल्दी लाइफ: ‘5-4-3-2-1-0’ दिया गया है।

तरंग हेल्थ अलायंस के कार्यकारी चेयरमैन राहुल मेहरा ने चंडीगढ़ में बताया कि बचपन में ही स्वस्थ आदतों को जीवनशैली में शामिल करने के उद्देश्य से इस अभियान की शुरुआत हरियाणा से हो रही है। तरंग हेल्थ अलायंस के साथ साझेदारी करने वाला पहला राज्य बना है, जहां स्कूल पाठ्यक्रम में व्यवस्थित स्वास्थ्य शिक्षा को शामिल किया गया है। अप्रैल 2024 से हरियाणा के 12 सरकारी स्कूलों में इस कार्यक्रम का पायलट प्रोजेक्ट सफलतापूर्वक संचालित किया गया है, जिससे यह स्पष्ट हुआ है कि रोज़मर्रा की सरल गतिविधियां भी स्वास्थ्य परिणामों में बड़ा बदलाव ला सकती हैं।

डॉ. मेहरा ने बताया कि भारत में औसत आयु केवल लगभग 70 वर्ष है, जबकि जापान में यह 85 वर्ष है। दुर्भाग्यवश, एक औसत भारतीय केवल 60 वर्ष की उम्र तक ही "स्वस्थ" रह पाता है। डॉ. मेहरा ने इस बात पर ज़ोर दिया कि इसका सबसे प्रभावी समाधान रोकथाम है और इसकी शुरुआत स्कूलों में स्वास्थ्य शिक्षा से होती है। आदतों के निर्माण की सबसे महत्वपूर्ण खिडक़ी स्कूल के वर्षों में ही खुली होती है। डॉ.राहुल मेहरा ने कहा कि हमने हरियाणा से अभियान की शुरुआत इसलिए की, क्योंकि इस राज्य ने स्वास्थ्य शिक्षा के प्रति असाधारण प्रतिबद्धता दिखाई है। राज्य सरकार ने तरंग हेल्थ अलायंस को अपने सार्वजनिक शिक्षा तंत्र के साथ निकटता से काम करने की अनुमति देकर जमीनी स्तर पर स्वास्थ्य शिक्षा के लिए अनुकूल माहौल तैयार किया है। उन्होंने विश्वास जताया कि हरियाणा इस जनजागरूकता और व्यवहार परिवर्तन के राष्ट्रीय अभियान का अग्रणी राज्य बनेगा।

डॉ राहुल मेहरा ने कहा, "यदि दीर्घकालिक स्वास्थ्य में सुधार लाना चाहते हैं, तो इसकी शुरुआत बच्चों से करनी होगी। 5-4-3-2-1-0 अभियान हरियाणा को एक सरल और वैज्ञानिक ढांचा प्रदान करता है। अभियान में छह दैनिक स्वास्थ्य आदतों को एक आसान काउंटडाउन के माध्यम से प्रस्तुत किया गया है। उन्होंने कहा कि ये आदतें केवल बच्चों के लिए नहीं बल्कि इसका उद्देश्य परिवारों और स्कूलों को एकजुट कर स्वास्थ्य की एक सकारात्मक संस्कृति विकसित करना है। स्कूलों से अपेक्षा की जा रही है कि वे इस अभियान को प्रार्थना सभाओं में शामिल करें, छात्रों से स्वास्थ्य प्रतिज्ञा लें, पोस्टर प्रतियोगिताओं जैसे रचनात्मक आयोजनों के ज़रिए इसे मज़बूत करें और पीटीएम व सामुदायिक सत्रों के माध्यम से माता-पिता को भी इसमें भागीदार बनाएं।

प्रतिदिन पांच बार फल और सब्जियों का सेवन करें
दिन में कम-से-कम चार बार साबुन और पानी से हाथ धोएं (शौच के बाद, नाश्ते, दोपहर और रात के भोजन से पहले)
प्रतिदिन तीन बार प्रोटीन युक्त भोजन लें।
मनोरंजन के लिए स्क्रीन समय को दो घंटे या उससे कम रखें
प्रतिदिन कम-से-कम एक घंटा शारीरिक गतिविधि में भाग लें
तंबाकू, मीठे पेय पदार्थ और नमकीन पैक्ड स्नैक्स से दूर रहें।

 

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