
पंजाब
सागर बांध से रावी नदी में अत्यधिक पानी छोड़े जाने के कारण बाढ़ आ गई है। इस बाढ़ से करतारपुर साहिब गुरुद्वारा परिसर में पानी भर गया है। यह गुरुद्वारा सिखों के प्रथम गुरु गुरु नानक देव जी का अंतिम विश्राम स्थल है। गुरुद्वारे में 5 से 7 फीट तक पानी भर गया है, लेकिन गुरु ग्रंथ साहिब सुरक्षित हैं। भारत-पाकिस्तान सीमा के पास स्थित यह गुरुद्वारा, करतारपुर कॉरिडोर खुलने के बाद पहली बार बाढ़ से प्रभावित हुआ है। कॉरिडोर वर्तमान में भारत की ओर से बंद है।
लंगर हॉल, परिक्रमा, सरोवर और सराय में पानी
जानकारी के मुताबिक, रावी नदी का जल स्तर बढ़ने से गुरुद्वारा करतारपुर साहिब के लंगर हॉल, परिक्रमा, सरोवर और सराय में पानी भर गया है। गुरु ग्रंथ साहिब को दूसरी मंजिल पर सुरक्षित रखा गया है, और अन्य धार्मिक पुस्तकें भी सुरक्षित हैं। बाढ़ के कारण जीरो लाइन क्षेत्र भी पानी में डूब गया है। रावी नदी का पानी धुसी बांध के ऊपर से बह रहा है, जिससे आसपास के खेतों में पानी भर गया है। बांध में एक दरार भी आ गई है, जिससे डेरा बाबा नानक शहर में बाढ़ का खतरा बढ़ गया है। गौरतलब है कि गुरुद्वारा भारत-पाकिस्तान सीमा से 4 किलोमीटर दूर है।
2023 में भी डूबी थी जीरो लाइन
उल्लेखनीय है कि जुलाई 2023 में रावी नदी में बाढ़ आई थी, जब जीरो लाइन डूब गई थी और कॉरिडोर पांच दिनों तक बंद रहा था। हालांकि, तब स्थिति इतनी गंभीर नहीं थी। इस बार गुरुद्वारा परिसर में भी पानी भर गया है। गुरुद्वारा प्रबंधन ने बताया कि पवित्र स्वरूप गुरु ग्रंथ साहिब शुरू से ही गुरुद्वारे की दूसरी मंजिल पर सम्मानपूर्वक स्थापित है, इसलिए यह पूरी तरह सुरक्षित है।
ऑपरेशन सिंदूर के बाद कॉरिडोर बंद
बता दें कि करतारपुर कॉरिडोर को गुरु नानक देव जी की 550वीं जयंती पर नवंबर 2019 में खोला गया था। इसका उद्देश्य भारतीय श्रद्धालुओं को बिना वीजा के गुरुद्वारा दर्शन की सुविधा प्रदान करना था। इसे 'दक्षिण एशिया में शांति का गलियारा' भी कहा जाता है। यह कॉरिडोर पाकिस्तान के गुरुद्वारे को पंजाब के डेरा बाबा नानक से जोड़ता है। इस कॉरिडोर से तीर्थयात्रियों का आखिरी जत्था 7 मई को गया था। जम्मू-कश्मीर में आतंकी हमले के बाद भारत ने 'ऑपरेशन सिंदूर' शुरू किया, जिसके बाद कॉरिडोर को बंद कर दिया गया।