
कोटा
राजस्थान के बूंदी जिले के नैनवां, कापरेन और केशोरायपाटन इलाकों में घुसा बाढ़ का पानी जैसे-जैसे कम हो रहा है, ग्रामीण जीवन की टूटी हुई कड़ियों को फिर से जोड़कर उसे पटरी पर लाने में जुट गए हैं। वे अपने भीगे हुए घरेलू सामान, गीले कपड़ों और अनाज को सुखा रहे हैं तथा अपने अपने घरों और दुकानों में बाढ़ के कारण जमा गाद को बाहर निकाल रहे हैं।
इस क्षेत्र के किसानों को बाढ़ से भारी नुकसान हुआ है, सोयाबीन, मूंग, उड़द और मक्के की फसल पूरी तरह से बर्बाद हो गई है। नैनवां ब्लॉक में पैबलापुरा बांध के नीचे की ओर स्थित 1,500 से अधिक आबादी वाला डोकुन गांव और पड़ोसी देवरिया गांव सबसे अधिक प्रभावित हुए हैं। शुक्रवार और शनिवार को हुई मूसलाधार बारिश के दौरान बांध का पानी उफनकर अचानक घरों और दुकानों में घुस गया था।
डोकुन गांव के निवासी रमेश नागर ने बताया कि बाढ़ का पानी इतनी तेजी से घरों में घुस आया कि लोगों को अपने घरेलू सामान या फसलों को बचाने का भी समय नहीं मिला। उन्होंने बताया कि उनके घरों में रखे गेहूं, सोयाबीन, चना और मूंग से भरे सैकड़ों बोरे पूरी तरह भीगकर खराब हो गए। इस बीच, प्रभावित क्षेत्रों के जनप्रतिनिधियों ने आरोप लगाया कि बाढ़ प्रभावित परिवारों के लिए अब तक कोई सरकारी सहायता नहीं पहुंची है।
कांग्रेस की बूंदी जिला इकाई के अध्यक्ष और केशोरायपाटन से विधायक सीएल प्रेमी ने मीडिया को बताया, ‘‘बाढ़ के बाद के हालात केशोरायपाटन, कापरेन और नैनवां क्षेत्रों में सबसे खराब हैं। इन इलाकों के गांवों के लगभग हर घर और दुकान को भारी नुकसान हुआ है। संपत्ति और फसलें नष्ट हो गई हैं, अधिकतर कच्चे मकान ढह गए हैं, मवेशी मर गए हैं। राज्य सरकार को शिकायतों पर ध्यान देना चाहिए और अधिक से अधिक लोगों तक तुरंत राहत पहुंचानी चाहिए।’’
बूंदी के विधायक हरिमोहन शर्मा ने बताया कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि राज्य सरकार ने अब तक बाढ़ प्रभावित परिवारों के लिए कोई मुआवज़ा घोषित नहीं किया है। उन्होंने कहा कि आपदा प्रबंधन और बाढ़ राहत मानदंडों के तहत निर्धारित सहायता राशि अपर्याप्त है और गांवों में हुए नुकसान को देखते हुए ‘‘यह सागर में एक बूंद के समान है और सहायता के नाम पर एक मजाक है’’।
इस बीच, केशोरायपाटन के उप-मंडल अधिकारी (एसडीएम) ऋतुराज शर्मा ने कहा कि प्रभावित क्षेत्रों में राहत कार्य और नुकसान का सर्वेक्षण जारी है। एसडीएम ने कहा, ‘‘हम जल्द ग्राम पंचायतों में शिविर लगाने जा रहे हैं, ताकि मौके पर ही दस्तावेजों और राहत संबंधी औपचारिकताएं पूरी की जा सकें।’’ उन्होंने बताया कि लोग राहत शिविरों से अपने अपने घर लौट चुके हैं।