विदेश

बेल्जियम में मेहुल चौकसी के प्रत्यर्पण की उम्मीदें इसलिए ज्यादा प्रगाढ़ हैं क्योंकि दोनों देशों के बीच प्रत्यर्पण संधि है

बेल्जियम
बेल्जियम में गिरफ्तार किए गए भारत के भगोड़े कारोबारी और 13 हजार करोड़ के बैंक फ्रॉड के आरोपी मेहुल चौकसी को प्रत्यर्पित करवा भारत लाने के लिए एजेंसियों ने कमर कर ली है। भारत की एजेंसियों के आग्रह पर ही उसे बेल्जियम में गिरफ्तार किया गया है। वहीं रिपोर्ट्स के मुताबिक ईडी और सीबीआई अपने तीन-तीन अधिकारियों को बेल्जियम भेजने वाली हैं ताकि मेहुल चौकसी को भारत लाने का रास्ता निकाला जा सके। बेल्जियम में मेहुल चौकसी के प्रत्यर्पण की उम्मीदें इसलिए ज्यादा प्रगाढ़ हैं क्योंकि दोनों देशों के बीच प्रत्यर्पण संधि है।

क्या है बेल्जियम के साथ 125 साल पुराना समझौता
भारत की एजेंसियों ने 125 साल पुरानी प्रत्यर्पण संधि का सहारा लिया और सारी जानकारी बेल्जियम को दे दी। हालांकि इसकी भनक मेहुल चौकसी को भी लग गई थी। तभी वह स्विट्जरलैंड भागने की तैयारी करने लगा। बेल्जियम और ब्रिटेन के बीच 29 अक्टूबर 1901 को एक संधि हुई थी। उस समय भारत में भी ब्रिटेन का ही राज था। बाद में इस संधि में कम से कम तीन बार संशोधन किया गया।

1907, 1911 और 1958 में इस संधि में संशोधन हुआ। भारत को आजादी मिलने के बाद भी दोनों देशों ने इस संधि को जारी रखने का फैसला किया। इस संधि के तहत दोनों देशों में से कोई भी अगर गंभीर अपराध करता है तो एक दूसरे के देश में उसका प्रत्यर्पण किया जा सकता है। इन अपराधों में हत्या, धोखाधड़ी, रेप, उगाही और ड्रग्स स्मग्लिंग जैसे क्राइम शामिल हैं। दोनों देशों में से किसी में भी अपराध करने वाला शख्स दोनों ही देशों में दंड के काबिल माना जाएगा।

अगर किसी के खिलाफ पुख्ता सबूत होते हैं तो उसके प्रत्यर्पण के लिए आग्रह किया जा सकता है। हालांकि कोई भी देश अपने ही देश के किसी नागरिक को प्रत्यर्पित नहीं करेगा। अगर यह पता चलता है कि राजनीति के लिए किसी के प्रत्यर्पण के लिए जोर दिया जा रहा है तो इस आग्रह को दरकिनार भी किया जा सकता है। वहीं प्रत्यर्पण के बाद उसपर किसी तरह के नए अपराध का मुकदमा नहीं चल सकता। इसके अलावा बिना पहले देश की अनुमति के उसे तीसरे देश नहीं भेजा जा सकता।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button