देश

वरिष्ठ नागरिकों को दी जाने वाली रेलवे टिकट छूट को बंद करने से 5 साल में जमा किए हजारों करोड़, RTI से खुला राज

नई दिल्ली
कोविड-19 के दौरान वरिष्ठ नागरिकों को दी जाने वाली रेलवे टिकट छूट को बंद किया गया था, और यह छूट आज तक बहाल नहीं हो पाई। लेकिन इस फैसले ने रेलवे को न सिर्फ बुजुर्गों के लिए यात्रा महंगी बना दिया, बल्कि उनकी जेब से 8,913 करोड़ रुपये का अतिरिक्त मुनाफा भी इकठ्ठा कर लिया। यह चौंकाने वाला खुलासा एक आरटीआई (RTI) से हुआ है

RTI से आई चौंकाने वाली सच्चाई
मध्य प्रदेश के RTI कार्यकर्ता चंद्रशेखर गौर ने जानकारी हासिल की कि मार्च 2020 से फरवरी 2025 तक 31.35 करोड़ वरिष्ठ नागरिकों ने बिना किसी छूट के रेल यात्रा की।
इनमें शामिल थे:
     18.27 करोड़ पुरुष
     13.06 करोड़ महिलाएं
     43,500 से अधिक ट्रांसजेंडर यात्री
इस दौरान रेलवे को कुल 20,133 करोड़ रुपये का टिकट राजस्व प्राप्त हुआ। यदि छूट लागू होती, तो ये रकम लगभग 11,220 करोड़ होती। यानी रेलवे ने 8,913 करोड़ का "छूट बंद लाभ" सीधे-सीधे कमा लिया।

क्या कहते हैं रेलवे के आंकड़े?
 पुरुषों से – ₹11,531 करोड़
महिलाओं से – ₹8,599 करोड़
ट्रांसजेंडर से – ₹28.64 लाख

पूर्व में, वरिष्ठ नागरिक पुरुषों और ट्रांसजेंडर को 40% तथा महिलाओं को 50% टिकट छूट मिलती थी, जिसे 20 मार्च 2020 को कोविड की शुरुआत के बाद तत्काल प्रभाव से बंद कर दिया गया था।

रेलवे का तर्क – सबको मिल रही है सब्सिडी
रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव का कहना है कि रेलवे अब भी हर यात्री को औसतन 46% सब्सिडी दे रहा है। उन्होंने संसद में बताया कि 2022-23 में रेलवे ने टिकटों पर ₹56,993 करोड़ की सब्सिडी दी, यानी 100 रुपये की सेवा पर यात्री को केवल 54 रुपये देने होते हैं। रेलवे का यह भी कहना है कि मरीज, दिव्यांगजन और छात्रों को अब भी विशेष छूट मिल रही है, लेकिन वरिष्ठ नागरिकों को छूट बहाल करने की कोई योजना फिलहाल नहीं है।

बुजुर्गों की नाराज़गी – "हमने देश को दिया, अब हमें छूट चाहिए"
सोशल मीडिया से लेकर संसद तक, यह मुद्दा गर्म है। कई लोगों का कहना है कि बुजुर्गों ने जीवन भर देश को टैक्स दिया, सेवाएं दीं — तो क्या उन्हें बुढ़ापे में कुछ राहत नहीं मिलनी चाहिए? -एक यूजर ने लिखा: "सरकार हमें 'बुजुर्ग' मानती है वोट के वक्त, लेकिन टिकट पर पूरा किराया वसूलती है!" -वहीं, कुछ लोगों ने कहा: "रेलवे को टिकने के लिए भी पैसा चाहिए। छूट देना हर बार संभव नहीं है।"

फिर सवाल वही – क्या अब भी रेल 'आम आदमी' की है?
वरिष्ठ नागरिकों की छूट पर बहस फिलहाल खत्म होती नहीं दिख रही। कुछ सांसद चाहते हैं कि इसे सीमित श्रेणियों — जैसे सिर्फ स्लीपर या जनरल डिब्बों तक सीमित कर बहाल किया जाए। लेकिन रेलवे इसे अपने आर्थिक लक्ष्यों के लिए चुनौती मानता है। 2025-26 में रेलवे का लक्ष्य है – ₹3 लाख करोड़ की आय, जिसमें से ₹92,800 करोड़ सिर्फ यात्री खंड से आनी है।

 

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button