पंजाबराज्य

वरियाणा डंप पर 32 करोड़ रुपए की लागत से लगाए जा रहे बायोमाइनिंग प्लांट का ट्रायल शुरू

जालंधर
शहर में वैस्ट विधानसभा क्षेत्र के तहत आते वरियाणा डंप पर 32 करोड़ रुपए की लागत से लगाए जा रहे बायोमाइनिंग प्लांट का ट्रायल शुरू हो चुका है। इस प्लांट का उद्घाटन एक सप्ताह बाद, यानी 23 अप्रैल को होगा। हालांकि, इस प्रोजैक्ट को जालंधर निगम एक उपलब्धि मानकर चल रहा है पर फिर भी यह प्लांट शहर की कूड़े संबंधी समस्या का पूर्ण समाधान नहीं कर पाएगा क्योंकि वरियाणा डंप पर मौजूद 15 लाख टन कूड़े में से केवल 8 लाख टन कूड़े को ही प्रोसेस करने का टैंडर दिया गया है। इतना जरूर है कि प्लांट चालू होने से वरियाणा डंप पर कूड़े के दिख रहे पहाड़ कम होंगे। खास बात यह है कि प्रोजैक्ट पहले ही काफी लेट हो चुका है परंतु अब भी यदि यह पूरी कैपेसिटी से चलेगा, इसे लेकर भी संदेह व्यक्त किए जा रहे हैं क्योंकि माना जाता है कि जालंधर में ज्यादातर प्रोजैक्ट निगम अधिकारियों का सहयोग न मिलने के कारण अक्सर लटक जाते हैं।

बाकी 7 लाख टन कूड़ा कब प्रोसैस होगा, फिलहाल कोई योजना नहीं
नगर निगम ने बायोमाइनिंग के लिए जो टैंडर जारी किया, उसमें केवल 8 लाख टन पुराने कूड़े को प्रोसैस करने की योजना है। वरियाणा डंप पर शेष 7 लाख टन कूड़े के निपटारे के लिए अभी कोई ठोस योजना नहीं बनाई गई है। नैशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एन.जी.टी.) पहले ही कूड़ा प्रबंधन में देरी के लिए जालंधर नगर निगम पर करोड़ों का जुर्माना लगा चुका है।

टेंडर लेने वाली कंपनी के अनुसार, प्लांट स्थापित होने के बाद 26 महीनों में 8 लाख टन कूड़े को प्रोसैस किया जाएगा। इस तरह, दो-अढ़ाई साल बाद भी वरियाणा डंप पर 7 लाख टन पुराना कूड़ा बचा रहेगा। इतना ही नहीं, इन दो-अढ़ाई सालों में शहर से प्रतिदिन आने वाला लगभग 400 टन नया कूड़ा डंप पर पहुंचेगा, जिससे कूड़े की मात्रा 10 लाख टन तक हो सकती है। खास बात यह है कि शहर से हर रोज निकलने वाले 500 टन कूड़े में से केवल थोड़ा-सा हिस्सा ही प्रोसैस हो पाता है। बाकी कूड़ा वरियाणा डंप पर जमा होता है। नए कूड़े के प्रबंधन के लिए नगर निगम के पास कोई ठोस योजना नहीं है, और मौजूदा योजनाओं में भी कई अड़चनें आ सकती हैं।

प्लांट तक आने जाने वाले रास्तों को लेकर आएगी समस्या
प्लांट तक पहुंचने का रास्ता गांव वरियाणा से होकर जाता है, जो काफी संकरा है। बड़ी गाड़ियों के आवागमन से स्थानीय लोगों को परेशानी हो सकती है। अगर नगर निगम ने डंप के बीच से वैकल्पिक रास्ता नहीं बनाया, तो गांव वाले बड़े वाहनों को रोक सकते हैं। वैसे निगम डंप के बीच में से रास्ता बना चुका है पर बरसात के सीजन में इसे लेकर समस्या आ सकती है। माना जा रहा है कि बायोमाइनिंग प्लांट की शुरूआत एक सकारात्मक कदम है लेकिन यह शहर की कूड़ा समस्या का पूर्ण समाधान नहीं है। विशेषज्ञों का मानना है कि जब तक नए कूड़े के प्रबंधन और शेष पुराने कूड़े के निपटारे की ठोस योजना नहीं बनेगी, तब तक जालंधर की कूड़ा समस्या जस की तस बनी रहेगी।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button